Meet the man wearing many hats, meet the legend, meet the legend, meet Piyush Mishra ay Shelfebook Bookstore, Select CITYWALK, Saket, Wednesday, 1st March 4pm onwards
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एक बहुत लंबे अंतराल के बाद यह पहली बार ही है जब हिन्दी सिनेमा के किसी बहुचर्चित-बहुप्रशंसित अभिनेता ने अपनी आत्मकथा अंग्रेज़ी में न लिखकर और छपवाकर, पहले अपनी मातृभाषा हिन्दी में लिखी हो और हिन्दी में ही पहले छपवाने को प्राथमिकता दे रहा हो।
• 'गुलाल' फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए बहुचर्चित पीयूष मिश्रा के अभिनय की असल प्रसिद्धि 'हैमलेट' नाटक में निभाया उनका मुख्य किरदार रहा है। बतौर अभिनेता उनके जीवन का अब तक का सफ़र किस तरह के उतार-चढ़ाव, संघर्ष-सफलता के साथ का रहा है, पहली बार मुकम्मल ढंग से यह किताब सामने ला रही है।
•औपन्यासिक ओट में लिखी गई इस आत्मकथा से हम पीयूष मिश्रा के आसपास की दुनिया—ग्वालियर, दिल्ली, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के सुनहरे-अँधेरे हिस्सों के साथ उनकी भीतरी दुनिया, उनके मन के अब तक ढँके कोनों-अंतरों को भी बहुत करीब से जान और महसूस कर पाते हैं।
• पीयूष कम-से-कम तीन पीढ़ियों के भाई, दोस्त, हमदम हैं। फिर भी वे नौजवान दिल के यारबाश आदमी हैं और युवा तो युवा, किशोरों से भी उतने ही घुले-मिले रहते हैं जैसे वे अपनी पीढ़ी के दोस्तों के बीच बैठे हों। यही वह खूबी है जिस कारण उनकी लिखाई में भाषा का भारीपन कहीं देखने को नहीं मिलता। उनके आत्मकथात्मक उपन्यास को पढ़ते हुए लगता है जैसे किसी युवतर पीढ़ी के लेखक ने आजकल की ज़बान में लिखा हो।
• 'तुम्हारी औक़ात क्या है पीयूष मिश्रा' एक अभिनेता, गीतकार, नाटककार, कवि, गायक के जीवन की कहानी मात्र नहीं है। यह एक हौसले के टूटकर बिखर जाने से बचने और खुद को साबित करने की बेमिसाल प्रेरक कथा भी है।