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लेखक के बारे में:
साहित्यकार, मोटिवेशनल स्पीकर और समाज सेवी वन्दना यादव का ‘कितने मोर्चे’ उपन्यास, सैनिक पत्नियों पर लिखा इस विषय पर हिन्दी का पहला उपन्यास है। ‘शुद्धि’ उपन्यास, भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रकाशित किया है जो मृत्यु संस्कार पर केंद्रित है। ‘सब्जियों वाले गमले’ (बाल कहानी पुस्तक) को नेशनल बकु ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने प्रकाशित किया है। यह एनबीटी की बेस्ट सेलर बुक लिस्ट में शामिल है। इसकी अब तक चार लाख से अधिक प्रतियां पाठकों द्वारा ख़रीदी जा चुकी हैं। अनेक राज्यों के सरकारी शिक्षण प्रोजेक्ट्स में इसे लिया जा रहा है। उड़िया भाषा में इसका अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है तथा अनेक राज्यों के बुलबुल प्रोजेक्ट में पुस्तक को शामिल किया गया है।
दो उपन्यास, पांच बाल साहित्य की पुस्तक सहित वन्दना की अलग-अलग विधाओं में पन्द्रह पुस्तकें प्रकाशित हैं और आधा दर्जन से अधिक पुस्तकों का संपादन भी किया है। आकाशवाणी पर रचना पाठ, समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में मानसिक स्वास्थ्य, महिला अधिकारों और अन्य सम-सामनयक विषयों पर वन्दना लगातार लखती हैं।
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